BA Semester-5 Paper-1 Home Science - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2782
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 8

वस्त्रों की देखरेख एवं संरक्षण

(Care and Storage of Clothing)

प्रश्न- वस्त्रों की सुरक्षा एवं उनके रख-रखाव के बारे में विस्तार से वर्णन कीजिए।

अथवा
वस्त्रों के संरक्षण एवं देखभाल पर एक निबंध लिखिये।

उत्तर -

वस्त्रों की सुरक्षा एवं रख-रखाव वस्त्रों की सुरक्षा एवं रख-रखाव करते समय गृहिणी को निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए -

1. नियमित रूप से हवा दिखाना व ब्रुश करना - वस्त्र त्वचा के सम्पर्क में रहने से पसीने व मैल से प्रभावित हो जाते हैं। पसीने की दुर्गन्ध से मुक्ति दिलाने के लिये वस्त्रों को पहनने के तुरन्त बाद धूप व खुली हवा में फैला देना चाहिए। पसीने में अम्लीय प्रभाव होने से वस्त्र पर प्रतिकारक प्रभाव पड़ता है। इसलिए धूप व हवा दिखना बहुत आवश्यक होता है।

वस्त्रों का सम्पर्क बाहरी वातावरण तथा शरीर की त्वचा से होता है। वातावरण में उड़ते धूल कण वस्त्र की सतह पर बैठ जाते हैं और उन्हें गन्दा कर देते हैं। जिन वस्त्रों को प्रतिदिन धोना सम्भव नहीं होता उन वस्त्रों को उतारने के बाद ब्रुश से अवश्य झाड़ देना चाहिए ताकि धूल के कण अलग हो जायें। ब्रुश को वस्त्र पर हल्के हाथों से रगड़ना चाहिए ताकि वस्त्र का रचना व वयन में कोई क्षति न पहुँचे। वस्त्रों को धूल कणों से मुक्त करने से वस्त्र का जीवन लम्बा हो जाता है व कार्यक्षमता व टिकाऊपन में वृद्धि हो जाती है।

2. उचित संचयन - सभी प्रकार के वस्त्रों को कम या अधिक समय के लिये संचय करना पड़ता है। इन वस्त्रों को रखने के लिये उपयुक्त साइज के बक्से, अलमारी, सैल्फ, रैक्स व किट्स प्रयोग किये जा सकते हैं आधुनिक प्रकार की अलमारियों में वस्त्रों को हैंगर पर लटकाकर रैक्स में लटकाने का प्रबन्ध रहता है। इस प्रकार तह किये गये वस्त्रों की क्रीज खराब नहीं हो पाती तथा हर समय अच्छी अवस्था में पहनने के लिये अपलब्ध हो जाते हैं।

वस्त्रों को हैंगर पर टाँगने से पूर्व उनमें लगे पिन, बैल्ट, ब्रॉच, जेब में रखी वस्तुएँ इत्यादि निकाल लेनी चाहिए नहीं तो वस्त्र की आकृति परिवर्तित हो जायेगी।

वस्त्र संचय करते समय ध्यान रखना चाहिए कि गन्दे वस्त्र व स्वच्छ वस्त्र पृथक्-पृथक् रखे जायें। दाग-धब्बे युक्त वस्त्रों को अलमारी में बन्द करके न रखें। गर्म व ऊनी वस्त्रों को संचय करते समय उन्हें अखबारी कागज या पॉलिथीन थैली में लपेटकर रखें ताकि धूलकण व हानिकारक कीटाणु उनको क्षति न पहुँचा सकें। अखबारी कागज ऊनी कपड़ों को कीटों से बचाता है क्योंकि अखबारी कागज पर प्रयुक्त स्याही कीटों के लिये प्रतिकारक का कार्य करती है। वस्त्रों का संचयन करते समय कुछ कीटनाशक दवाईयाँ जैसे मॉथ प्रुफ पाउडर, फिनायल की गोलियाँ, डी.डी.टी., पैरा डाईक्लोरो बैंजीन, नीम की पत्तियों आदि का प्रयोग किया जा सकता है।

वस्त्रों को संचय करने से पहले धूप अवश्य दिखनी चाहिए क्योंकि वस्त्रों पर नमी रहने से उनमें कीड़े लग सकते हैं। वस्त्रों का संचय नमी व अंधकार वाले स्थानों पर नहीं करना चाहिए। नमी होने से वस्त्रों पर फफूँदी लग जाती है जोकि वस्त्रों को नष्ट कर देती है। इसलिये संचय किये गये वस्त्रों को वर्ष में 2-3 बार धूप अवश्य दिखानी चाहिए इससे वस्त्रों को सुरक्षा मिलती है।

3. धोने की उपयुक्त विधि - नित्य पहनने वाले वस्त्रों को प्रतिदिन धोना चाहिए। अधिक 'गन्दे वस्त्रों को धोना कठिन होता है इसलिये अधिक वस्त्र गन्दे होने से पूर्व ही धो लेना चाहिए। धोने के लिये ऐसे साधनों का प्रयोग करना चाहिए जो वस्त्रों को हानि न पहुँचाये। अधिकांश वस्त्रों को घर पर ही धोना पड़ता है, घर पर वस्त्रों को उचित धुलाई विधि का प्रयोग करके धोना चाहिए। विभिन्न प्रकार के रेशों से निर्मित वस्त्रों की धुलाई विधियाँ भी भिन्न-भिन्न रहती हैं। वस्त्र धोने की अनुचित विधि का प्रयोग करने से वस्त्र की आकृति व रंग प्रभावित होता है। रंगीन वस्त्रों को सफेद वस्त्रों से पृथक् करके धोना चाहिए। रंगीन वस्त्रों को भी कच्चे और पक्के रंग के अनुसार अलग-अलग छाँटकर उनकी धुलाई करनी चाहिए।

धुलाई से पूर्व वस्त्रों को उनके गन्देपन व रंग का कच्चापन व पक्केपन के अनुसार अलग-अलग छाँट लेना चाहिए। कुछ वस्त्रों को हल्के हाथ से रगड़कर धोकर साफ किया जा सकता है जबकि कुछ वस्त्र जो अत्यधिक गन्दे हैं उन्हें गर्म पानी में भिगोकर साफ करना चाहिए।

ऊनी व रेशमी व अत्यन्त कीमती वस्त्रों की सूखी धुलाई द्वारा धुलवाना चाहिए।

घर पर धोते समय वस्त्रों की जेबें आदि जाँच लेनी चाहिए। वस्त्रों के अलंकरण आदि उनसे पृथक् कर लेने चाहिए। वस्त्रों के फटे स्थानों की मरम्मत भी धोने से पूर्व कर लेनी चाहिए। वस्त्रों को धोने के लिये उचित घोलक का प्रयोग करना चाहिए। ऊनी व रेशमी वस्त्रों के धोने के लिये मृदु साबुन, रीठा, जेन्टिल ईजी आदि का प्रयोग करना चाहिए। रंगीन व छपे वस्त्रों को पानी में अधिक देर तक नहीं भिगोना चाहिए। वस्त्रों की उचित धुलाई की विधि अपनाने के साथ-साथ वस्त्र को सुखाने की उचित रीति का भी ध्यान रखना चाहिए। कुछ वस्त्रों विशेषकर ऊनी वस्त्रों को लटकाकर नहीं सुखाना चाहिए नहीं तो उसकी बनावट व आकृति में अन्तर आ जाता है। वस्त्रों को ज्यादा देर तक धूप में नहीं सुखाना चाहिए। कड़ी धूप में वस्त्र सुखाने से कपड़े का रंग भदरंग पड़ जाता है। उचित धुलाई विधि अपनाने से वस्त्र की कार्यक्षमता बढ़ती है।

4. उचित विधि से इस्तरी करना - वस्त्रों पर उचित विधि से इस्तिरी करनी चाहिए। कुछ वस्त्रों जैसे ताप सुनन्य तन्तु से निर्मित वस्त्र बिना इस्तरी किये हुए ही प्रयोग में लाये जा सकते हैं जबकि अन्य रेशों से निर्मित वस्त्रों पर अधिक गर्म या हल्की गर्म इस्तिरी करनी आवश्यक है। इस्तिरी करना वस्त्र की देखरेख व संरक्षण का एक साधन होते हुए भी वस्त्र की परिसज्जा देने का भी एक उत्तम साधन हैं।

सूती वस्त्रों पर आवश्यकतानुसार बहुत गर्म इंस्तिरी की जा सकती है। रेशमी वस्त्रों पर हल्की गर्म इस्तिरी करनी चाहिए क्योंकि रेशमी वस्त्रों के तन्तु कोमल होते हैं। रेशमी वस्त्रों पर इस्तिरी उल्टी तरफ से करनी चाहिए ताकि इनके सौन्दर्य में कमी न आये। गर्म व ऊनी वस्त्रों पर हल्की गर्म इस्तिरी करनी चाहिए। निटिंग किये वस्त्रों पर इस्तिरी रगड़ते हुए नहीं करनी चाहिए अपितु एक स्थान पर दवाब डालते हुए इस्तिरी करनी चाहिए।

उचित विधि से इस्तिरी करने से वस्त्र की कार्यक्षमता व सौन्दर्य में अभिवृद्धि होती है।

5. तत्कालीन मरम्मत - वस्त्रों के नित्यप्रति के प्रयोग से वस्त्र अपनी सिलाई से खुल जाते हैं या उधड़ जाते हैं। वस्त्र के थोड़ा सा ही फटते या उघड़ते ही उसको तुरन्त सिल लेना चाहिए। तुरन्त मरम्मत से समय व शक्ति की बचत होती है।

प्रायः देखा गया है कि वस्त्र के फटे स्थान के चारों ओर से अन्य धागे निकल आते हैं। यदि सिलाई देर से की गयी तो सिलने के पश्चात् भी मरम्मत स्पष्ट दिखाई देने लगती है। ऊनी वस्त्रों या हौजरी कहीं से खुल जाये तो पंक्ति दर पंक्ति उनके फंदे गिरने लगते हैं। इस प्रकार वस्त्र की कार्यक्षमता पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। इसी प्रकार काज, बटन, हुक टूटने पर, तुरन्त मरम्मत करनी चाहिए।

6. दाग-धब्बा छुड़ाना - वस्त्र पर लगा ताजा धब्बा छुड़ाना आसान होता है जबकि पुराने दाग-धब्बों को छुड़ाना कठिन होता है। विभिन्न प्रकार के दाग-धब्बों को छुड़ाने के अलग-अलग तरीके हैं। विभिन्न रेशों से निर्मित वस्त्रों की दाग-धब्बे छुड़ाने की प्रक्रिया भी अलग-अलग होती है। दाग छुड़ाने के लिये आम्लिक, क्षारीय व उदासीन प्रकृति के प्रतिकर्मकों का प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त कुछ विलायक व अवशोषी प्रकार के प्रतिकर्मक भी प्रयोग में लाये जाते हैं। दाग-धब्बे छुड़ाने के लिये यदि अम्ल या क्षार का प्रयोग किया जाये तो सदैव इनके तनु घोल का ही प्रयोग करना चाहिए। गाढे या सान्द्र का हानिकारक प्रभाव पड़ता है। यदि सान्द्र घोल का प्रयोग किया जा रहा है तो उसका प्रयोग करने के बाद वस्त्र को कई बार पानी से धोकर उदासीनीकरण कर लेना चाहिए। अन्त में दाग-धब्बा छूट जाने पर वस्त्र को गीली धुलाई या शुष्क धुलाई की किसी एक विधि से धो लेना चाहिए।

7. अन्य सावधानियाँ - उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखने के अतिरिक्त कुछ ऐसी बातें हैं जिनका ध्यान भी वस्त्र का उचित संचयन व संरक्षण करने के लिये रखना आवश्यक है। जैसे वस्त्र को धोते समय उचित शोधक व अपमार्जकों का प्रयोग किया जाय, प्रयोग करने की उचित विधि का ही चयन किया जाय तथा वस्त्र को प्रयोग के बाद पसीने व दुर्गन्ध से मुक्ति दिलाने के लिये उन्हें खुली वायु व प्रकाश में डाल दिया जाय, उन पर लगी धूल, मिट्टी के कणों को ब्रुश से साफ कर दिया जाय ताकि वस्त्र शीघ्र ही गन्दा न हो।

उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखकर वस्त्रों को सुरक्षित रखा जा सकता है। उचित देखरेख से वस्त्रों की कार्यक्षमता व टिकाऊपन में वृद्धि होती है। इनके प्रयोग से वस्त्र अन्तिम दिनों तक सन्तुष्टि प्रदान करता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- विभिन्न प्रकार की बुनाइयों को विस्तार से समझाइए।
  2. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 1. स्वीवेल बुनाई, 2. लीनो बुनाई।
  3. प्रश्न- वस्त्रों पर परिसज्जा एवं परिष्कृति से आप क्या समझती हैं? वस्त्रों पर परिसज्जा देना क्यों अनिवार्य है?
  4. प्रश्न- वस्त्रों पर परिष्कृति एवं परिसज्जा देने के ध्येय क्या हैं?
  5. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (1) मरसीकरण (Mercercizing) (2) जल भेद्य (Water Proofing) (3) अज्वलनशील परिसज्जा (Fire Proofing) (4) एंटी-सेप्टिक परिसज्जा (Anti-septic Finish)
  6. प्रश्न- परिसज्जा-विधियों की जानकारी से क्या लाभ है?
  7. प्रश्न- विरंजन या ब्लीचिंग को विस्तापूर्वक समझाइये।
  8. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabrics) का वर्गीकरण कीजिए।
  9. प्रश्न- कैलेण्डरिंग एवं टेण्टरिंग परिसज्जा से आप क्या समझते हैं?
  10. प्रश्न- सिंजिइंग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  11. प्रश्न- साइजिंग को समझाइये।
  12. प्रश्न- नेपिंग या रोयें उठाना पर टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - i सेनफोराइजिंग व नक्काशी करना।
  14. प्रश्न- रसॉयल रिलीज फिनिश का सामान्य परिचय दीजिए।
  15. प्रश्न- परिसज्जा के आधार पर कपड़े कितने प्रकार के होते हैं?
  16. प्रश्न- कार्य के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
  17. प्रश्न- स्थायित्व के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
  18. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabric) किसे कहते हैं? परिभाषित कीजिए।
  19. प्रश्न- स्काउअरिंग (Scouring) या स्वच्छ करना क्या होता है? संक्षिप्त में समझाइए |
  20. प्रश्न- कार्यात्मक परिसज्जा (Functional Finishes) किससे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
  21. प्रश्न- रंगाई से आप क्या समझतीं हैं? रंगों के प्राकृतिक वर्गीकरण को संक्षेप में समझाइए एवं विभिन्न तन्तुओं हेतु उनकी उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- वस्त्रोद्योग में रंगाई का क्या महत्व है? रंगों की प्राप्ति के विभिन्न स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- रंगने की विभिन्न प्रावस्थाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- कपड़ों की घरेलू रंगाई की विधि की व्याख्या करें।
  25. प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा रंगों द्वारा कैसे की जाती है? बांधकर रंगाई विधि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- बाटिक रंगने की कौन-सी विधि है। इसे विस्तारपूर्वक लिखिए।
  27. प्रश्न- वस्त्र रंगाई की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? विस्तार से समझाइए।
  28. प्रश्न- वस्त्रों की रंगाई के समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  29. प्रश्न- डाइरेक्ट रंग क्या हैं?
  30. प्रश्न- एजोइक रंग से आप क्या समझते हैं?
  31. प्रश्न- रंगाई के सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं? संक्षिप्त में इसका वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dye) के लाभ तथा हानियाँ क्या-क्या होती हैं?
  33. प्रश्न- प्राकृतिक रंग (Natural Dyes) किसे कहते हैं?
  34. प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dyes) के क्या-क्या उपयोग होते हैं?
  35. प्रश्न- छपाई की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- इंकजेट (Inkjet) और डिजिटल (Digital) प्रिंटिंग क्या होती है? विस्तार से समझाइए?
  37. प्रश्न- डिजिटल प्रिंटिंग (Digital Printing) के क्या-क्या लाभ होते हैं?
  38. प्रश्न- रंगाई के बाद (After treatment of dye) वस्त्रों के रंग की जाँच किस प्रकार से की जाती है?
  39. प्रश्न- स्क्रीन प्रिटिंग के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- स्टेन्सिल छपाई का क्या आशय है। स्टेन्सिल छपाई के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक रंगाई प्रक्रिया के बारे में संक्षेप में बताइए।
  42. प्रश्न- ट्रांसफर प्रिंटिंग किसे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
  43. प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक छपाई (Polychromatic Printing) क्या होती है? संक्षिप्त में समझाइए।
  44. प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  46. प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  48. प्रश्न- टिप्पणी लिखिए : (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
  49. प्रश्न- कच्छ, काठियावाड़ की कढ़ाई की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? समझाइए।
  50. प्रश्न- कसूती कढ़ाई का विस्तृत रूप से उल्लेख करिए।
  51. प्रश्न- सांगानेरी (Sanganeri) छपाई का विस्तृत रूप से विवरण दीजिए।
  52. प्रश्न- कलमकारी' छपाई का विस्तृत रूप से वर्णन करिए।
  53. प्रश्न- मधुबनी चित्रकारी के प्रकार, इतिहास तथा इसकी विशेषताओं के बारे में बताईए।
  54. प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- जरदोजी कढ़ाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  56. प्रश्न- इकत शब्द का अर्थ, प्रकार तथा उपयोगिता बताइए।
  57. प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  58. प्रश्न- बगरू (Bagru) छपाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  59. प्रश्न- कश्मीरी कालीन का संक्षिप्त रूप से परिचय दीजिए।
  60. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों पर संक्षिप्त में एक टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
  63. प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।
  64. प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
  65. प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए |
  66. प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- पटोला वस्त्रों का निर्माण भारत के किन प्रदेशों में किया जाता है? पटोला वस्त्र निर्माण की तकनीक समझाइए।
  68. प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
  69. प्रश्न- गुजरात के प्रसिद्ध 'पटोला' वस्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  70. प्रश्न- पुरुषों के वस्त्र खरीदते समय आप किन बातों का ध्यान रखेंगी? विस्तार से समझाइए।
  71. प्रश्न- वस्त्रों के चुनाव को प्रभावित करने वाले तत्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- फैशन के आधार पर वस्त्रों के चुनाव को समझाइये।
  73. प्रश्न- परदे, ड्रेपरी एवं अपहोल्स्ट्री के वस्त्र चयन को बताइए।
  74. प्रश्न- वस्त्र निर्माण में काम आने वाले रेशों का चयन करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  75. प्रश्न- रेडीमेड (Readymade) कपड़ों के चुनाव में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  76. प्रश्न- अपहोल्सटरी के वस्त्रों का चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  77. प्रश्न- गृहोपयोगी लिनन (Household linen) का चुनाव करते समय किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता पड़ती है?
  78. प्रश्न- व्यवसाय के आधार पर वस्त्रों के चयन को स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- सूती वस्त्र गर्मी के मौसम के लिए सबसे उपयुक्त क्यों होते हैं? व्याख्या कीजिए।
  80. प्रश्न- अवसर के अनुकूल वस्त्रों का चयन किस प्रकार करते हैं?
  81. प्रश्न- मौसम के अनुसार वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करते हैं?
  82. प्रश्न- वस्त्रों का प्रयोजन ही वस्त्र चुनाव का आधार है। स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- बच्चों हेतु वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करेंगी?
  84. प्रश्न- गृह उपयोगी वस्त्रों के चुनाव में ध्यान रखने योग्य बातें बताइए।
  85. प्रश्न- फैशन एवं बजट किस प्रकार वस्त्रों के चयन को प्रभावित करते हैं? समझाइये |
  86. प्रश्न- लिनन को पहचानने के लिए किन्ही दो परीक्षणों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- ड्रेपरी के कपड़े का चुनाव कैसे करेंगे? इसका चुनाव करते समय किन-किन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है?
  88. प्रश्न- वस्त्रों की सुरक्षा एवं उनके रख-रखाव के बारे में विस्तार से वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- वस्त्रों की धुलाई के सामान्य सिद्धान्त लिखिए। विभिन्न वस्त्रों को धोने की विधियाँ भी लिखिए।
  90. प्रश्न- दाग धब्बे कितने वर्ग के होते हैं? इन्हें छुड़ाने के सामान्य निर्देशों को बताइये।
  91. प्रश्न- निम्नलिखित दागों को आप किस प्रकार छुड़ायेंगी - पान, जंग, चाय के दाग, हल्दी का दाग, स्याही का दाग, चीनी के धब्बे, कीचड़ के दाग आदि।
  92. प्रश्न- ड्राई धुलाई से आप क्या समझते हैं? गीली तथा शुष्क धुलाई में अन्तर बताइये।
  93. प्रश्न- वस्त्रों को किस प्रकार से संचयित किया जाता है, विस्तार से समझाइए।
  94. प्रश्न- वस्त्रों को घर पर धोने से क्या लाभ हैं?
  95. प्रश्न- धुलाई की कितनी विधियाँ होती है?
  96. प्रश्न- चिकनाई दूर करने वाले पदार्थों की क्रिया विधि बताइये।
  97. प्रश्न- शुष्क धुलाई के लाभ व हानियाँ लिखिए।
  98. प्रश्न- शुष्क धुलाई में प्रयुक्त सामग्री व इसकी प्रयोग विधि को संक्षेप में समझाइये?
  99. प्रश्न- धुलाई में प्रयुक्त होने वाले सहायक रिएजेन्ट के नाम लिखिये।
  100. प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचित करने का क्या महत्व है?
  101. प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचयित करने की विधि बताए।

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